टोटल हरियाणा न्यूज : हरियाणा में भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। साथ ही पानी की सेहत भी लगातार बिगड़ रही है। ऐसे में पानी की गुणवत्ता में सुधार की रफ्तार बहुत धीमी है। इस दिशा में बड़े कदम (save earth water) नहीं उठाए गए तो हमारी आने वाली पीढि़यां पानी को तरस जाएंगी। हरियाणा में पेयजल पर प्रस्तुत है एक रिपोर्ट –
हरियाणा में पेयजल की स्थिति को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भूमि जल बोर्ड की तरफ से एक सर्वे करवाया गया। इस सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। केंद्र सरकार की तरफ से यह रिपोर्ट भारत के गतिशील भूजल संसाधनों पर राष्ट्रीय संकलन को लेकर हाल ही में जारी की गई है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक हैरानी की बात है कि लगातार प्रयासों के बाद भी प्रदेश की 2023-2024 में मूल्यांकन की गई 143 इकाई में से 132 में कोई बदलाव ही दर्ज नहीं किया गया।
प्रदेश में भूजल सुधार में काफी गुंजाइश है। सरकार ने भी अटल भूजल योजना के तहत प्रदेश के लिए करीब 6 हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रविधान किया है।
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भूजल के सुधार के लिए किए गए प्रयासों के बावजूद रिपोर्ट देखें तो इस दिशा में हो रहे प्रयासों में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। क्योंकि जिस गति से भूजल स्तर में सुधार हो रहा है वह गति बहुत धीमी है। जबकि भूजलस्तर के सुधार को लेकर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है।
भूजल दोहन में पंजाब के बाद हरियाणा का नंबर
इतना ही नहीं सतत विकास लक्ष्य यानि एसडीजी की बात करें तो 2030 तक 100 फीसदी का आंकड़ा छूना है। इसमें छठा लक्ष्य स्वच्छ जल और स्वच्छता है। इसमें स्वच्छ पेयजल के मामले में चंडीगढ़ की स्थिति हमसे बेहतर है।
पंजाब और हरियाणा अभी पिछड़ी कतार में हैं। ब्लाक और मंडल स्तर पर पानी का अतिदोहन प्रदेश में 61.54 फीसदी है। भूजल का दोहन करने में 163.76 फीसदी आंकड़े के साथ सबसे आगे पंजाब है।
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इसके बाद हरियाणा में 135.74 फीसदी और चंडीगढ़ में 75.41 फीसदी भूजल का दोहन किया जाता है। जबकि चंडीगढ़ में इसमें सुधार दर्ज किया गया है।
2023 में भूजल निष्कर्षण का स्तर 75.41% रहा। यानि यह सेमी क्रिटिकल के स्तर पर था। जबकि एक साल में ही 66.13 फीसदी तक पहुंच गया। यह सुरक्षित माना गया और इसमें सुधार है।
इन 26 जगह पानी में खारापन ज्यादा
रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 26 स्थानों पर पानी में खारापन ज्यादा पाया गया है। जो पीने लायक नहीं मिला। इसमें सुधार की जरूरत है। प्रदेश के 26 स्थानों में सिवानी, बौंद, झोझूं, बाढ़डा, फर्रूखनगर, भिवानी, बवानीखेड़ा, बहादुरगढ़, मातनहेल, हथीन, महेंद्रगढ़, होडल, पलवल, बेरी, नरवाना, कनीना, महम, ओढ़ा, नाथूसरी चौपटा, नाहड़, रोहतक, रानिया, बारागुढ़ा, डबवाली, मुंडलाना और खरखौदा क्षेत्र शामिल हैं।
इन 3 जगह में आर्सेनिक ज्यादा
भूजल में प्रदेश के 3 स्थानों पर आर्सेनिक की मात्रा भी मिली है। इनमें इसराना, रेवाड़ी और ऐलनाबाद शामिल हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक इस आर्सेनिक के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्या पनप सकती है। इसके दीर्घकालिक संपर्क से कैंसर, त्वचा संबंधी घाव और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
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इन 18 जगहों पर मिला फ्लोराइड ज्यादा
इसी तरह से प्रदेश के 18 स्थानों पर पानी में फ्लोराइड की मात्रा मिली है। इनमें गोहाना, सिरसा, सांपला, लाखनमाजरा, कलानौर, बावल, समालखा, पानीपत, मतलौडा, बड़ौली, जुलाना, उझाना, उचाना, जींद, सफीदो, साल्हावास, पटौदी और तोशाम शामिल हैं।
कैंसर के साथ शिशुओं में ब्लू बेबी सिंड्रोम का खतरा
जनस्वास्थ्य अभियान हरियाणा के डा. आरएस दहिया के अनुसार भूजल प्रदूषण से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। भूजल प्रदूषण से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें जलजनित बीमारियां, कैंसर, और विकास संबंधी विकार शामिल हैं।
आर्सेनिक, नाइट्रेट, और अन्य रसायनों से दूषित भूजल पीने से विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। नाइट्रेट से दूषित भूजल शिशुओं में ब्लू बेबी सिंड्रोम का कारण बन सकता है।
वहीं सीसा, पारा, और कैडमियम जैसे भारी धातुओं से दूषित भूजल गुर्दे की क्षति का कारण बन सकता है। इसमें सुधार के लिए प्रदूषण को रोकना होगा।
