- रिसर्च के मुताबिक कैंसर मरीजों की आंतों में 829 जीन मिले, ये दवा का असर कम कर रहे
- स्वस्थ लोगों में इनकी संख्या 518 थी
- गांवों में रहने वाले लोगों में ये रेजिस्टेंस बैक्टीरिया ज्यादा पाए गए
- आंतों में रहने वाला इशरीकिया कोली बैक्टीरिया बड़ी आंत की कैंसर में नुकसान पहुंचा सकता है
negative bacteria : हमारे शरीर में बहुत से बैक्टीरिया होते हैं। जो हमारी बॉडी को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारे शरीर में छोटी छोटी बीमारियां भी इन बैक्टिरीया के एनबैलेंस होने से होती है। वहीं कई बार गंभीर बीमारी का कारण भी बैक्टीरिया का इनबैलेंस होना माना जाता है।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ( एमडीयू) की एंजाइमोलाजी एंड गट माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला में इशरीकिया कोली नामक बैक्टीरिया बड़ी आंत का कैंसर के बीच रिसर्च हुई है। इस रिसर्च पर अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी ने भी शोध पत्र जारी किया है। इसमें सामने आया कि अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित मरीजों की आंतों में ऐसे 829 बैक्टीरिया पाए जो एंटीबॉयोटिक दवाओं का भी असर कम कर देते हैं।
वहीं, स्वस्थ लोगों में इनकी संख्या 518 थी। रिसर्च में सामने आया कि गांवों में रहने वाले लोगों में ये रेजिस्टेंस बैक्टीरिया ज्यादा पाए गए। चाहे व्यक्ति स्वस्थ हों या बीमार यानी अल्सरेटिव कोलाइटिस बीमारी (बड़ी आंत का कैंसर) से पीड़ित गांव की मरीज की तुलना में शहरी में रहने वाला मरीज जल्दी ठीक हो सकता है।
रिसर्च में करीब 40% इशरीकिया कोली बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ मजबूत निकले। अल्सरेटिव कोलाइटिस मरीजों में यह संख्या 43.75% रही। जबकि स्वस्थ लोगों में 33.33% थी। इन बैक्टीरिया के जीन की जांच से पता चला कि इनमें बीमारी फैलाने की ताकत और दवाओं के खिलाफ रेजिस्टेंस मौजूद है।
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रिसर्च स्कॉलर आशा यादव व प्रो कृष्णकांत । सही इलाज के लिए शरीर की प्रतिक्रिया देखना जरूरी शोध में पाया कि आंतों में रहने वाला इशरीकिया कोली बैक्टीरिया बड़ी आंत की कैंसर में नुकसान पहुंचाने वाला बन सकता है।
ऐसे बैक्टीरिया दवाओं से भी नहीं मरता। वे इस बीमारी के इलाज को और मुश्किल बना सकते हैं। बीमारी को समझने और सही इलाज तय करने के लिए माइक्रोबायोलॉजी और शरीर की प्रतिक्रिया दोनों को साथ में देखना जरी है।
हमेशा डॉक्टर की सलाह से लें एंटीबॉयोटिक
अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित मरीजों के लिए रिसर्च महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इससे मरीज को ठीक करने में काफी मदद मिलेगी। जब भी कोई दिक्कत होती है तो लोग अपनी मर्जी से एंटीबॉयोटिक लेते हैं, जो कि काफी खतरनाक है।
एमडीयू रोहतक के प्रोफेसर डॉ. कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि इससे संबंधित बीमारी पर लगाम लगने की बजाय यह और गंभीर हो जाती है। हमेशा कोई भी एंटीबॉयोटिक डॉक्टर के परामर्श पर लें। इससे एंटीबॉयोटिक का शरीर पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
रोहतक पीजीआई के साथ दिल्ली एम्स में कुछ मरीजों पर रिसर्च की गई। इसको लेकर स्कॉलर आशा ने बताया कि यह उनके नेतृत्व में एमडीयू के छात्रों ने की है। प्रोफेसर डॉ. कृष्णकांत ने इसको गाइड किया। इसके लिए डॉ. विनीत आहुजा ने एम्स दिल्ली के मरीजों के सैंपल इक्कठा करने के लिए सहयोग किया।
रिसर्च के दौरान एम्स दिल्ली व पीजीआई रोहतक से बड़ी आंत के कैंसर से पीड़ित 75 मरीजों के सैंपल लिए गए। जबकि 50 ग्रामीण व शहरी स्वस्थ लोगों के सैंपल की जांच की गई।
