Malaria AI Software मलेरिया के बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नई कवायद शुरू की है। इसके लिए चंडीगढ़ पीजीआई ने एक ऐसा साफ्टवेयर तैयार कर रहा है जो पलक झपकते ही आपको मेलेरिया की रिपोर्ट उपलब्ध करवाएगा।
कई परिस्थितियों में मलेरिया जानलेवा साबित होता है। यह एक परजीवी रोग है। जो प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम, प्लास्मोडियम विवैक्स, प्लास्मोडियम मलेरी और प्लास्मोडियम ओवाले से होता है।
अभी तक मलेरिया होने के बाद इसकी पहचान के लिए टेस्ट में घंटों का समय लग जाता था। अब चंडीगढ़ पीजीआई एक ऐसा एआई साफ्टवेयर तैयार कर रहा है जो पलक झपकते ही मलेरिया की रिपोर्ट आपको उपलब्ध करवा देगा।
बता दें कि पीजीआई के परजीवी विभाग के अनुसंधानकर्ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी (AI) आधारित साफ्टवेयर तैयार करने में जुटे हैं। विज्ञानियों का कहना है कि इस साफ्टवेयर से सैकेंडों में मलेरिया की पहचान की जाए सकेगी।
पीजीआइ के परजीवी आयुर्विज्ञान विभाग के हेड डा. सुमिता बताया साफ्टवेयर में एक हजार से अधिक परजीवी सेल्स की तस्वीरें अपलोड हो चुकी है।
साफ्टवेयर का डाटा जल्द ही अपलोड किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि बिना प्रशिक्षित लैब टेक्नीशियन के मलेरिया स्लाइड की जांच में गलती की संभावना रहती है, लेकिन एआइ आधारित साफ्टवेयर के विकसित होने के बाद यह खतरा लगभग समाप्त हो जाएगा।
पहले से साफ्टवेयर में सैकड़ों केस की इमेज फीड की जा चुकी है, जिससे साफ्टवेयर बेहद सटीक रिपोर्ट देने में सक्षम होगा। डा. खुराना ने बताया कि वर्तमान में मलेरिया की जांच तेज निदान टेस्ट और पीसीआर तकनीक से की जाती है।
पीसीआर से बेहद हल्के परजीवियों की भी जांच संभव होती है, लेकिन यह प्रक्रिया समय और संसाधन दोनों की मांग करती है। इसके विपरीत एआइ तकनीक से महज कुछ सेकेंड में रिपोर्ट आसानी से मिल सकेगी।
शहरी इलाकों में खतरा ज्यादा
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1958 में जब राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम शुरू हुआ, तो शहरी मलेरिया को गंभीर समस्या नहीं माना गया था।
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ग्रामीण क्षेत्रों में 1970 के दशक में स्थिति बदल गई और मलेरिया के केस 0.1 से 0.15 लाख गए। वहीं शहरी इलाकों में संक्रमण का ग्राफ ऊपर चढ़ने लगा।
केंद्र सरकार ने इसे देखते हुए शहरी मलेरिया योजना शुरू की गई है, जो देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों सहित 130 शहरों में लागू किया जाएगा।
मलेरिया से ऐसे करें बचाव
मलेरिया बरसात के मौसम में मुख्य रूप से अधिक फैलता है। यहां मच्छर गड्ढो में भरे पानी में पनपते हैं। जो मलेरिया फैलने का कारण बनते हैं। ऐसे में बचाव के लिए इन उपायों को अपनाना चाहिए।
- अपने आस पास कभी भी पानी जमा न होने दें।
- समय समय पर आसपास दवा का छिड़काव करवाएं।
- रात को सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोएं।
- वर्षा के मौसम में खास ध्यान रखें।
- पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहने चाहिए। इससे मच्छरों से बचाव होगा।
- यदि आपको बुखार आ रहा है तो तुरंत मरेरिया की जांच करवाएं।
- मलेरिया होने पर बदनदर्द और सिरदर्द होना भी इनके लक्षणों में आता है।
बता दें कि मलेरिया मच्छर जनित बीमारी है। इसलिए इसकी रोकथाम के लिए सबसे पहले मच्छरों को पनपने से रोकना है। कई परिस्थितियों में समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण यह रोग जानलेवा भी साबित हो सकता है। देशभर में हर साल सैकड़ों लोगों की मौत मलेरिया से होती है। इस दिशा में सरकार तो प्रयास कर ही रही है। जागरूकता भी जरूरी है। यदि हम जागरूक होंगे तो मलेरिया नहीं पनपेगा।
