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punjab haryana high court : गर्भ में पल रहा शिशु भी मुआवजे का हकदार, हाई कोर्ट ने बीमा कंपनी को दिया मुआवजा देने का आदेश

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punjab haryana high court : गर्भ में पल रहा श‍िशु भी मुआवजे का हकदार होगा। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने सड़क दुर्घटना में गर्भ में पल रहे श‍िशु के मामले पर यह फैसला सुनाया है।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सड़क दुर्घटना में गर्भ में पल रहे शिशु को भी मुआवजा पाने का अधिकार है। कोर्ट ने एक मोटर वाहन दुर्घटना मामले में मुआवजे की राशि में वृद्धि करते हुए पीड़ित परिवार को अतिरिक्त 9.29 लाख देने का आदेश दिया है।

जस्टिस सुवीर सहगल ने अपने फैसले में कहा कि पीड़ितों को ‘विरासत की हानि’ और ‘संवेदनशीलता की हानि’ (लॉस ऑफ कंसोर्टियम) के आधार पर भी मुआवजा मिलना चाहिए।

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कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि दुर्घटना के समय मृतक की पत्नी गर्भवती थी और उनके गर्भस्थ शिशु को भी मुआवजा दिए जाने का प्रविधान बनता है।

यह अपील कैथल के मृतक राकेश कुमार के कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने ट्रिब्यूनल द्वारा 2016 में तय किए गए मुआवजे की राशि को बढ़ाने की मांग की थी।

दरअसल, राकेश कुमार की मोटरसाइकिल एक ट्रैक्टर से टकरा गई थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। इस दौरान उनकी पत्नी गर्भवती थीं और दो महीने बाद नवंबर 2015 में उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया।

कोर्ट ने दुर्घटना से जुड़े तथ्यों और गवाहों की गवाही का विश्लेषण करते हुए माना कि ट्रैक्टर तेज गति से लापरवाहीपूर्वक चलाया जा रहा था और दुर्घटना के बाद ट्रैक्टर चालक मौके से फरार हो गया था।

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मुआवजे की गणना करते हुए न्यायालय ने माना कि मृतक की मासिक आय 7,200 थी। ट्रिब्यूनल ने 18 का गुणक (मल्टीप्लायर) लागू किया था, जिसे कोर्ट ने सही ठहराया।

इसके अलावा, अंतिम संस्कार के लिए दिए गए 20,000 को भी यथावत रखा गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘भविष्य की संभावनाओं’ और ‘पारंपरिक श्रेणियों’ के अंतर्गत मिलने वाले मुआवजे की पुनर्गणना की जानी चाहिए।

कोर्ट ने इस मामले में मैग्मा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम नानू राम (2018) के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इस प्रकार के मामलों में मुआवजे की गणना नए सिरे से की जानी चाहिए।

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इस फैसले के तहत, अपीलकर्ताओं को 9.29 लाख की अतिरिक्त राशि 7.5% वार्षिक ब्याज दर के साथ भुगतान की जाएगी, जो कि क्लेम याचिका दायर करने की तारीख से लागू होगी।

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