wheat procurement : प्रदेश में आज से गेहूं की खरीद शुरू हो चुकी है। प्रदेश की मंडियों में इंतजाम अधूरे हैं। कई जिलों में जहां बारदाना नहीं पहुंचा वहीं कई जिलों में उठान के टेंडर ही नहीं हुए है। ऐसे में गेहूं की खरीद की बात करना भी बेमानी होगा। आइए जानते हैं क्या है रिपोर्ट
हरयिाणा की 417 मंडियों में गेहूं खरीद के लिए केंद्र बनाए गए हैं। यहां अब तक इंतजाम अधूरे हैं। कहीं आढ़तियों के पास अभी तक बारदाना ही नहीं पहुंचा है तो कहीं उठान को लेकर टेंडर ही नहीं लगाया गया हैं।
ऐसे में यदि मंडियों में गेहूं आती है तो उठान कार्य धीमा होगा। इसका सीधा असर किसानों को मिलने वाली पेमेंट पर पड़ेगा। किसानों को पेमेंट लेट मिलेगी।
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सोमवार को प्रदेश की मंडियों में गेहूं की आवक नहीं हुई। केवल रोहतक और गोहाना की मंडियों में एक-एक ढेरी ही पहुंची है। अप्रैल के पहले सप्ताह के बाद गेहूं की आवक जोरों पर रहेगी। 15 मई तक प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद की जाएगी।
वहीं, सरकारी एजेंसियों ने जहां मंडियों में 15 मार्च से सरसों की खरीद शुरू कर दी है। वहीं एक अप्रैल से गेहूं के अलावा जौ और चने की खरीद भी शुरू हो जाएगी।
चिंताजनक बात यह कि अभी तक एक चौथाई से अधिक किसानों ने मेरी फसल, मेरा ब्योरा (एमएफएमबी) पोर्टल पर फसलों का पंजीकरण नहीं कराया है। जबकि सरकारी एजेंसियां पंजीकृत किसानों की फसल ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदेंगी।
हालांकि प्रदेश सरकार ने उन किसानों के लिए 27 मार्च तक पोर्टल फिर से खोल दिया है जो पोर्टल पर किन्हीं कारणों से अपनी फसल का पंजीकरण नहीं करा पाए हैं। ऐसे में इन किसानों के पास पंजीकरण के लिए सिर्फ बृहस्पतिवार तक का समय है।
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इसके बाद गैर पंजीकृत किसानों को अपनी फसल खुले बाजार में बेचनी होगी। मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल के अनुसार प्रदेश में कुल 87 लाख नौ हजार 45 एकड़ कृषि क्षेत्र में से 64 लाख 61 हजार 276 एकड़ रबी फसलों का पंजीकरण हो चुका है,।
जो कुल पंजीकरण का 74 प्रतिशत है। कुल 11 लाख 11 हजार 443 किसानों ने अपनी फसल मंडियों में बेचने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।
पंजीकरण के मामले में चरखी दादरी सबसे आगे है जहां 93 प्रतिशत किसानों ने पंजीकरण कराया है, जबकि इसके बाद महेंद्रगढ़ (84 प्रतिशत) और भिवानी (80 प्रतिशत) जिले हैं।
इसके उलट गुरुग्राम, मेवात और सोनीपत सहित कुछ अन्य जिलों में 50 प्रतिशत किसानों ने भी पंजीकरण नहीं कराया। ऐसे में इन जिलों के अपंजीकृत किसानों को अपनी उपज एमएसपी पर बेचने में दिक्कत आ सकती है।
इन्हें अपनी फसल निजी खरीदारों को बेचनी पड़ेगी, जिसके लिए उन्हें एमएसपी की कोई गारंटी नहीं होगी।
कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने सभी किसानों से तुरंत पोर्टल पर अपनी फसल का पंजीकरण पूरा कराने का आग्रह किया है ताकि उनकी फसल सरकार एमएसपी पर खरीद सके। इसके लिए कृषि विभाग की टीमें भी गांवों में जाकर जागरूकता अभियान चला रही हैं। पंजीकरण कैंप लगाए जा रहे हैं ताकि बचे हुए किसान आसानी से अपनी रबी फसलों का पंजीकरण करा सकें।
417 मंडियों में गेहूं तो 116 में सरसों की होगी खरीद
प्रदेश में इस बार 415 मंडियों में गेहूं, 116 में सरसों, 25 में जौं, 17 मंडियों में सूरजमुखी, 11 मंडियों में चना और सात में मसूर की खरीद की जाएगी। मंडियों में निकासी गेट पास जारी होने के 48 से 72 घंटों में किसानों के खाते में फसल का भुगतान कर दिया जाएगा।
इस बार प्रति एकड़ ज्यादा फसल खरीदेगी सरकार
प्रदेश में इस बार रबी फसलों की बंपर पैदावार की उम्मीद है। इसके मद्देनजर प्रदेश सरकार ने इस वर्ष सरकारी खरीद के लिए प्रति एकड़ औसत उत्पादन की सीमा में बढ़ोतरी की है।
इससे उन किसानों को फायदा होगा जो प्रति एकड़ संभावित उत्पादन से अधिक पैदावार होने के कारण अपनी फसल को एमएसपी पर नहीं बेच पाते थे।
चना, जौ, सूरजमुखी और मूंग की फसल उत्पादन सीमा को एक क्विंटल प्रति एकड़ बढ़ाया गया है। जौ की खरीद 16 क्विंटल प्रति एकड़, चने की छह क्विंटल प्रति एकड़, सूरजमुखी की नौ क्विंटल प्रति एकड़ और मूंग की खरीद चार क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से होगी।
मसूर का औसत उत्पादन अनुमान प्रति एकड़ चार क्विंटल तय किया गया है। हालांकि गेहूं की उत्पादन सीमा प्रति एकड़ 25 क्विंटल ही रखी गई है।
